Sunday, 6 September 2020

Pagalpan – A thriller story

thriller story

किसी ने डोरबेल बजाई, गीता दरवाजे पर आई और पूछा “कौन है?”

“मैं हु जतिन” किसी ने जवाब दिया

गीता ने दरवाजा खोला,

“अरे जतिन कैसे हो आओ अंदर आजाओ” गीता ने कहा,

[गीता और जतिन कॉलेज मे पढ़ते हैं और 2 साल से फ्रेंड्स हैं, जतिन गीता को पागलो की तरह चाहता है, वो गीता के लिए कुछ भी कर सकता है, लेकिन एक गरीब घर से होने के कारण वो गीता को प्रपोस करने से डरता है , गीता के दिल मे क्या है ये जतिन नहीं जनता]

जतिन बोला “गीता मैं अच्छा हु, क्या तुम मेरी बैग उठाने मे मदद करोगी”

गीता बोली “इतना बड़ा बैग इसमे क्या है“

“कुछ नहीं मेरा कुछ सामान है बस” जतिन ने जवाब दिया,

दोनों बैग को उठाकर अंदर ले आए,

“जतिन तुम यहाँ बैठो मैं तुम्हारे लिए पानी लेकर आती हु” ये बोलते हुए गीता अंदर चली जाती है,

गीता पानी लेकर आती है,

“गीता क्या तुम मेरी थोड़ी मदद कर सकती हो” जतिन ने पूछा,

“इसमे पूछना क्या है जतिन, बिलकुल कर सकती हूँ” गीता ने मुस्कुराते हुए कहा,

जतिन बोला “मुझे कुछ काम से अपने गाव जाना है, मेरा ये बैग तुम्हें अपने पास रखना होगा, लेकिन प्लीज इसे कभी खोलने की कोसिश मत करना ,मैं तुम्हें गाव से आने के बाद बताऊंगा की बात क्या है, तब तक प्लीज तुम इसे मत खोलना”

“कहीं ये तुम चोरी कर के तो नहीं लाये” गीता ने मज़ाक करते हुए कहा,

अरे गीता मज़ाक मत करो, ये बोलते हुए जतिन ने बैग को एक कोने मे रख दिया और वहाँ से चला गया।

रात हुई, गीता अपने कमरे मे सो रही थी। तभी किसी के कदमो की आहट हुई मानो कोई गीता के कमरे की तरफ बढ़ रहा है, गीता के कमरे का दरवाजा खुला, जिसकी आवाज़ से गीता उठ गयी वो इधर-उधर देखने लगी पर उसे कोई नहीं दिखा दरवाज़े को खुला देख गीता कमरे से बाहर आई, हौल मे से कुछ आवाज़े आ रही थी मानो कोई रो रहा हो, गीता सहमी हुई हौल की तरफ बढ़ी गीता जैसे ही हौल मे पहुची उसने देखा की, टीवी ऑन था और वो आवाज़े टीवी से ही आ रही थी। ये देख गीता ने सुकून की सांस ली, लेकिन वो सोच मे पड़ गयी की उसने सोने से पहले टीवी बंद किया था या नहीं।

गीता ने टीवी बंद किया, और अपने कमरे मे वापस जाने लगी थी की तभी हौल मे एक कोने से कुछ हलचल हुई, गीता कि नज़र हौल के उस कोने मे गयी, उसने देखा उस अंधेरे कोने मे कोई खड़ा उसे घूर रहा है, गीता डर से कांपने लगी और जल्दी से लाइट ऑन कर दिया उसने देखा की, कोने मे कोई भी नहीं था बस जतिन का बैग वहाँ रखा हुआ था।

ये देख गीता को अचंभा हुआ, उसको जतिन के उस बैग पर शक था, वो बैग खोलकर देखने के लिए आगे बढ़ी, लेकिन उसे जतिन की बात याद आ गयी [इस बैग को कभी मत खोलना] गीता को जतिन पर शक हुआ उसने बैग को खोलना चाहा पर बैग पर ताला लगा हुआ था तो गीता वापस अपने कमरे मे चली गयी।

अगले दिन…

गीता कॉलेज से वापस लौटी, उसने देखा की उसके घर का दरवाजा खुला हुआ है, गीता घबरा गयी उसने अंदर जाकर देखा तो गौतम सोफ़े पर बैठा हुआ था।

[गौतम, गीता का पड़ोसी है और दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं, लेकिन ये बात गीता ने जतिन को नहीं बताई है]

गीता ने पूछा “अरे गौतम तुन कब आए और तुम्हें मेरे घर की चाबी कैसे मिली?”

गौतम कुछ नहीं बोला, वो बस सोफ़े पे बैठा गीता को घूरे जा रहा था। गीता उसके पास आई और बोली,

“गौतम तुम ठीक तो हो”

“हा मैं बिलकुल ठीक हूँ” गौतम ने मुस्कुरा कर कहा,

“मेरा घर तो लॉक था तुम अंदर कैसे आए” गीता ने पूछा,

“तुम घर को लोक करना भूल गयी थी“ गौतम ने जवाब दिया,

गीता सोच मे पड़ गयी, फिर जवाब दिया “ओह, हाँ शायद! सॉरी मुझे याद नहीं था”

गीता बोली “गौतम अच्छा हुआ तुम यहा आ गए, मुझे तुम्हें अपने एक क्लोज़ फ्रेंड जतिन से मिलवाना था वो बस आता ही होगा”

डोरबेल बजी “शायद जतिन होगा मैं देखती हूँ” बोलकर गीता ने दरवाजा खोला, बाहर जतिन खड़ा था,

“जतिन तुम सही समय पर आए हो मुझे तुम्हें किसी से मिलवाना है अंदर आ जाओ” गीता बोली

“जतिन ये गौतम है मेरा बॉय फ्रेंड हम दोनों दो महीने से रेलशनशिप मे हैं, मैं ये बात तुम्हें बताना चाहती थी लेकिन कभी मौका ही नहीं मिला”   

जतिन ने जैसे ही गौतम को देखा वो घबरा गया और डर के मारे कांपने लगा,

“क्या हुआ जतिन ये मेरा बोयफ्रेंड है गौतम”

जतिन ने कोई जवाब नहीं दिया वो बस चुप-चाप खड़ा रहा, जैसे उसे साँप सूंघ गया हो,

“बोलो जतिन क्या हुआ” गौतम ने हस्ते हुए कहा,

“ये नहीं हो सकता तुम तो मर चुके हो” जतिन ने गौतम से कहा

“ये तुम क्या बोले जा रहे हो जतिन” गीता बोली

“हा गीता मैं सच कह रहा हु, मैं तुम्हें सब कुछ बताता हूँ”

जतिन बोला “गीता मैं तुम्हें प्यार करता हूँ, और तुमसे शादी करना चाहता था, लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं थे की मैं तुम्हें खुश रख पाता, मुझे लगा की मैं कितनी भी कोसिश कर लूँ, पर मैं इतने पैसे कभी नहीं कमा पाऊँगा की तुम्हें खुश रख सकूँ, इसलिए मैंने चोरी केरने का फैसला किया।

मुझे एक अमीर आदमी का पता चला, जिसने अपने घर मे बहुत सारा काला धन छुपा रखा था, मैं उस आदमी के घर मे गया मैंने पैसे चुराये, और एक बड़े से बैग मे भर लिए, और पीछे के रास्ते से भागने लगा, लेकिन जब मैं वहाँ से भाग रहा था, तो गौतम ने मुझे देख लिया, मैं भागना चाहता था लेकिन गौतम ने मुझे पकड़ लिया और शोर मचाने लगा, मैंने गौतम को डराने के लिए चाकू निकाली, हम दोनों मे झड़प होने लगी, और गलती से चाकू गौतम को लग गयी, वो ज़मीन पर गिर पड़ा, मैंने देखा की गौतम मर चुका था, तो मैं डर के मारे वहाँ से भाग गया और सीधा तुम्हारे घर आया”

जतिन बोला “गीता ये गौतम नहीं उसकी आत्मा है”

“हाँ मैं मर चुका हूँ” गौतम बोला 

ये सुन कर गीता रो पड़ी

गौतम की अतमा ने कहा “जतिन, तूने मुझे मार कर गीता को मुझसे दूर कर दिया, गीता मेरी नहीं हो सकी, अब मैं तुझे भी उससे दूर कर दूंगा”

देखते-ही-देखते जतिन ज़मीन पर गिर पड़ा उसकी मौत हो गयी,

गीता बस खड़ी हुई ये सब देखती रही, उसके दोनों अच्छे दोस्त उसकी ज़िंदिगी से दूर हो गए

गौतम की आत्मा वहाँ से गायब हो गयी। गीता बस आँसू बहाती रह गयी…..  

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